प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत
हजारीबाग/डेस्कः निज स्वार्थ के लिए हजारीबाग में दल बदलू नेताओं की कमी नही है. इन नेताओं को न हजारीबाग के विकास की चिंता है ना ही आम जनता की फिकर है. इन्हे बस वह प्रति चाहिए जो टिकट दे दे और वह चुनाव जीत कर सांसद विधायक बन जाए. इनकी ना कोई नीति है और न ही हजारीबाग के विकास के लिए कोई विजन. इन्हे बस "पावर" चाहिए. सांसदी, विधायकी की हनक चाहिए. जीत गए तो मिलने वाली सरकारी कोष का इस्तेमाल कर जहां मन किया अपने चहेते कार्यकर्तावो को ठेका दे दिया. ठेके में काम की गुणवत्ता है भी या नही इसकी फिक्र नहीं. ये दलबदलु नेता सिर्फ अपनी हनक और कुछ विशेष कार्यकतावो की फिकर में डूबे रहते है.
भाजपा विधायक जेपी पटेल के भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होने और टिकट पाकर लोकसभा चुनाव लडने के बाद एक बार फिर हजारीबाग चर्चे में आ गया है. दल बदलू नेताओं की बात करे तो हजारीबाग में इसकी शुरुआत 1969 में पूर्व मुख्यमंत्री केबी सहाय ने दल बदल कर की थी. कांग्रेस पार्टी का जब विभाजन हुवा तो केवी सहाय कांग्रेस की मुरारजी गुट में शामिल हो गए थे. 1972 के विधानसभा चुनाव में राजा कामख्या नारायण सिंह ने भी पार्टी बदली, वे जनसंघ में शामिल हो गया.
रघुनंदन राम जो 1962 में राजा पार्टी से विधायक बने थे, बाद में उन्होंने भी पलटी मारी और कांग्रेस में शामिल हो गया. 1980 में वे कांग्रेस की टिकट पर हजारीबाग सदर विधायक बने. 1962 में रघुनंदन राम, महेश राम, डॉ बसंत नारायण सिंह, निरंजन सिंह राजा पार्टी छोड़कर जनसंघ में चले गए. राजा पार्टी से दो बार बरही विधायक रहे रामेश्वर महथा 1972 में जनता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होकर चुनाव जीते.
मनीष जायसवाल भी पलटू राम नेताओं की लिस्ट में
वर्तमान में भाजपा से हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल का नाम भी पल्टुराम नेताओं की लिस्ट में शामिल है. 2014 में वे बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम से भागकर भी में शामिल हो गए और टिकट पाकर सदर विधायक बन गए. वही, जेवीएम से बरकट्ठा विधायक बने जानकी यादव, बरही के विधायक मनोज यादव ने भी कांग्रेस से भाजपा में शामिल हो गए.