आज यानी 25 नवंबर 2020 को देव उठनी एकादशी है. देव उठनी एकादशी में तुलसी विवाह का खास महत्व होता है. हिन्दू धर्म में कार्तिक मास की एकादशी का बहुत ही महत्व है. मान्यता है कि इस एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है. माना जाता है कि जो लोग जीवन में कन्या सुख से वंचित रहते हैं उन्हें तुलासी विवाह से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. ऐसा माना जाता है कि तुलासी विवाह करने से कन्या दान के बराबर फल प्राप्त होता है.
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता तुलसी ने भगवान विष्णु को नाराज होकर श्राप दे दिया था कि तुम काला पत्थर बन जाओगे. इसी श्राप की मुक्ति के लिए भगवान ने शालीग्राम पत्थर के रूप में अवतार लिया शालीग्राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और तुलसी को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है. एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है. माना जाता है कि मां तुलसी की पूजा करने से घर में सुख शांति बनी रहती है.
तुलसी विवाह पूजा विधि
एकादशी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान विष्णु की अराधना करें. एक चौकी पर तुलसी का पौधा और दूसरी चौकी पर शालिग्राम को स्थापित करें. इसके बाद बगल में एक जल भरा कलश रखें, और उसके ऊपर आम के पांच पत्ते रखें. तुलसी के गमले में गेरू लगाएं और घी का दीपक जलाएं. फिर तुलसी और शालिग्राम पर गंगाजल का छिड़काव करें और रोली, चंदन का टीका लगाएं. तुलसी के गमले में ही गन्ने से मंडप बनाएं. अब तुलसी को लाल चुनरी सिर में डालें. गमले को साड़ी लपेट कर, चूड़ी चढ़ाएं और उनका दुल्हन की तरह श्रृंगार करें. इसके बाद शालिग्राम को चौकी समेत हाथ में लेकर तुलसी की सात बार परिक्रमा की जाती है. इसके बाद आरती करें. तुलसी विवाह संपन्न होने के बाद सभी लोगों को प्रसाद बांटे. प्रसाद में इस मौसम में आने वाले फल, गन्ना और मिठाई का भोग लगया जाता है.
एकादशी शुभ मुहूर्त
25 नवंबर, बुधवार एकादशी तिथि प्रारम्भ- नवंबर 25, समय 02:42
एकादशी तिथि समाप्त- नवंबर 26, समय 05:10 तक
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