रांची : रांची के प्रतिष्ठित बीएयू में नियुक्ति और खरीद में हुए एक बड़े घोटाले की जांच अब अपने अंतिम चरण में हैं. फर्जी योग्यता प्रमाण पत्र के सहारे एक अयोग्य व्यक्ति बीएयू का वाइस चांसलर बन बैठा और ढाई साल के समय में उसने कई अवैध नियुक्तियां की. मनमाफिक टेंडर कर करोड़ों का घालमेल किया. क्या है पूरा मामला देखिए इस रिपोर्ट में.
कार्यकाल के 1 साल पहले ही 2018 में इस्तीफा देकर जा चुके बीएयू के पूर्व कुलपति परविंदर कौशल की कथित अवैध नियुक्ति और फिर उनके द्वारा की गई नियुक्तियों एसी और जनरेटर की खरीद, बाउंड्री वाल निर्माण, वर्चुअल क्लास निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत पर कृषि निदेशक रवि रंजन के नेतृत्व में एक जांच चल रही है. आरटीआई कार्यकर्ता उत्तम कुमार ने ही इस पूरे घोटाले का पर्दाफाश किया है.
जांच कमेटी को बीएयू के रजिस्ट्रार ने कई चौंकाने वाली बातें बताई है कि किस तरह वाइस चांसलर रहे परविंदर कौशल ने परचेज कमेटी पर मनपसंद ट्रेडर से सामान खरीदने का दबाव बनाया दस्तखत नहीं करने पर रजिस्टार साहब को पद से हटा दिया गया था.
फर्जी कागजात पर वाइस चांसलर बने परमिंदर कौशल ने महाराष्ट्र की एक कंसलटेंसी कंपनी वाईएमएस को नॉमिनेशन के आधार पर कंसलटेंसी का ठेका दिया और आईसीआर के फंड से 25 लाख रुपए का अवैध भुगतान भी किया. एसी और जनरेटर बगैर जरूरत की खरीदे, 6 वर्चुअल क्लास बनवाये, कमीशन के लिए बिना जरूरत बाउंड्री वाल का निर्माण कराया और तीन लोगों की नियुक्तियां भी की जो उस पद के काबिल नहीं थे.
सबसे मजेदार बात यह के फर्जी कागजात पर नियुक्त हुए वाइस चांसलर कौशल ने कॉन्ट्रैक्ट पर एक शिक्षक डॉ पीएस कुरील की नियुक्ति की, जो परविंदर कौशल के इस्तीफा देने के बाद बीएयू का वाइस चांसलर भी बन बैठा. क्या आपने कहीं सुना है कि कॉन्ट्रैक्ट पर बहाल व्यक्ति किसी संस्थान का वाइस चांसलर बना दिया जाता है. इंक्वायरी कमेटी की रिपोर्ट मैं चंद और बड़े खुलासे हो सकते हैं, जिसका सबको बेसब्री से इंतजार है.