21 मार्च रविवार को फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है. इस दिन से होलाष्टक शुरू हो रहा हैं, जो कि पूर्णिमा की तिथि पर होलिका दहन तक रहेगा. इन दिनों में शुभ काम नहीं किए जाते हैं. होलिका दहन के बाद फिर से शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इन दिनों नए घर में प्रवेश, शादी, मुंडन, नए व्यापार की शुरुआत करने से बचने की सलाह ज्योतिष में दी जाती है.
पूजा के लिए श्रेष्ठ होते हैं ये दिन
होलाष्टक के दिनों में भक्त प्रहलाद में भगवान विष्णु की अटूट भक्ति की थी. प्रहलाद के पिता हरिण्यकश्यप ने अपने पुत्र पर कई अत्याचार किए, कई बार उसे मारने की कोशिश की, लेकिन हर बार विष्णुजी की कृपा से उसके प्राण बच गए. इसी वजह से इन दिनों भगवान विष्णु के लिए जप, तप और ध्यान करने का विशेष महत्व है. इन दिनों में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए. शिवजी के मंदिर में शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं. ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. हनुमानजी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें.