प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क:-आईलेक्स पब्लिक स्कूल के सभी ब्रांच में डॉ भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर बच्चों ने अम्बेडकर जी की तस्वीर पर उन्हें पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया. इस दौरान विद्यालय के निदेशक शैलेश कुमार ने भी डॉ बीआर अंबेडकर की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किया. कार्यक्रम की शुरुआत शिक्षक बबलू कुमार, रवि सिंह, रिंकू कुमार और सौरभ कुमार ने अपने अपने ब्रांच के अनुसार भीमराव अम्बेडकर के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उसके बाद बच्चों ने भीमराव जी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किया. इस अवसर पर आईलेक्स पब्लिक स्कूल के सभी ब्रांच में वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. वाद विवाद प्रतियोगिता का विषय था आरक्षण : जरूरत या वरदान. कई बच्चों ने आरक्षण को लेकर अपने विचार रखे कि संविधान में कुछ संशोधन कर आरक्षण सबसे पहले शारीरिक विकलांग, शहीदों के बच्चे, आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मिलना चाहिए. वही दूसरी ओर कुछ के विचार थे कि जाति को लेकर अभी भी कई जगह स्थिति दयनीय बनी हुई है इसलिए इसे ऐसे हीं रहने देना चाहिए. वीर कक्षा 10, शिव शंकर कक्षा 10, नैना कक्षा 10, जिज्ञाशु कक्षा 9, आर्यन कक्षा बिपुल कक्षा 9, कुंदन कक्षा 9, आस्था कक्षा 9, बादल कक्षा 9, नंदनी कक्षा 9 ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. सचिन, सिमरन, खुशबू, कुंदन कक्षा 6, दिवाकर, श्रवण कक्षा, विनय, सूरज कक्षा 4, अनीता कक्षा 8, राजनांदी कुमारी, गुंजन कुमारी, नमन कुमार, मोहित कुमार, सत्यम कुमार, शिवम कुमार, सिद्धि कुमारी आदि का प्रयास भी काफ़ी सराहनीय रहा. बच्चों को जानकारी देते हुए निदेशक शैलेश कुमार ने कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का दर्जा दलितों के लिए किसी देवता से कम नहीं था उन्होंने अपने जीवन काल में दलितों के उत्थान के लिए कई ऐसे कार्य भी किए, जिसकी वजह से दलित समाज के जीवन में एक नए सूर्य का उदय हुआ. कलाराम मंदिर सत्याग्रह के बाद डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को इतना आभास हुआ कि उन्होंने कहा मैं हिंदू धर्म में पैदा जरूर हुआ था लेकिन हिंदू मरूंगा नहीं और यही कारण था कि उन्होंने अपने जीवन काल में बौद्ध धर्म को अपना लिया था. एक गरीब परिवार में जन्मे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने बचपन से ही कई कठिनाइयों और सामाजिक कुरीतियों का सामना किया था. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर बाल्य काल से ही निर्भीक स्वभाव के थे बढ़ती उम्र के साथ उन्हें यह समझ आ गया था कि उन्हें इन कुरीतियों से सिर्फ शिक्षा की छाया ही बचा सकती है. यही कारण था कि उन्होंने अपने आपको सबसे पहले शिक्षा प्राप्त करने के लिए अग्रसर किया और फिर दलित के उत्थान में खुद को झोंक दिया. उन्होंने बताया कि भीमराव अम्बेडकर के जीवन से हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें अन्याय के विरुद्ध चुप नहीं बैठना चाहिए बल्कि उसका खुलकर विरोध करना चाहिए. हमें समाज में प्रचलित कुरीतियों को आँख बन्द करके अपनाने के बजाय उनका विरोध करना चाहिए. मौके पर विद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाएं मौजूद रहे.