दुमका जिले के शिकारीपाड़ा में स्टोन क्रशर धड़ल्ले से चल रहा है. चिरुडीह से पश्चिम बंगाल सीमा तक काफी संख्या में स्टोन क्रशर है. इससे निकलने वाली धुआं और धुलकन से आने जाने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है. खासतौर पर इसके चलते बाइक सवार, साइकिल और आम लोगों को सामने का सड़क नजर नहीं आता है. यही वजह है कि आए दिन सड़क दुर्घटना का लोग शिकार हो जाते हैं. बीते गुरुवार को शाम इसी धूलकन की वजह से बाइक सवार दो मजदूर वाहन की चपेट में आकर अपनी जान गवां बैठे. इस घटना के विरोध में लोगों ने काफी देर तक सड़क जाम किया और इस प्रदूषण पर रोक लगाने की मांग की.
यातायात की दृष्टिकोण से व्यस्त है सड़क
बता दें कि दुमका से रामपुरहाट के रास्ते पर दिन भर स्टोन बोल्डर, स्टोन चिप्स से लदे हजारों ट्रक-हाईवा तो चलते ही हैं. वहीं इसी रास्ते से लोग पर्यटन स्थल मुलेटी और तारापीठ भी जाते हैं. कई क्रशर तो बिल्कुल सड़क के किनारे स्थापित कर रखा है. उससे निकलने वाले डस्ट पूरे क्षेत्र को धूल धूसरित कर रखा है. इससे धूल से भरे सड़क पर वाहनों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है, और इसलिए अक्सर सड़क हादसे हो जाते हैं.
प्रदूषण नियमों का हो रहा है उल्लंघन
स्टोन क्रशर एरिया में प्रदूषण नियमों के तहत उद्योग क्षेत्र के चारों ओर पानी का छिड़काव करना है, वृक्ष लगाना है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हो रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि प्रदूषण नियंत्रण करने पर सभी कुंभकरण की नींद में सो रहे हैं. हम यूं कहें कि सबकुछ सेट है. दूसरी बड़ी लापरवाही स्टोन बोल्डर लोड कर चलने वाले ट्रक और हाईवा के चालक ज्यादा ट्रिप लगाने के चक्कर में बेधड़क अपनी रफ्तार तेज रखते हैं. इस रफ्तार का भुगतान आम लोगों को करना पड़ जाता है.
क्या कहती है अंचलाधिकारी
इस पूरे मामले में हमारी टीम ने शिकारीपाड़ा की अंचलाधिकारी अमृता कुमारी से फोन पर बात की. उन्होंने कहा कि माइनिंग ऑफिसर से क्रशर का लिस्ट लेकर हमने शिकारीपाड़ा थाना को फॉरवर्ड किया है और निर्देश दिया है कि सभी क्रशर मालिकों से यह सुनिश्चित कराएं कि प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पूरा ध्यान रखें है या नहीं. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि प्रशासन को शिकायत करने के बाद स्थिति में कोई बदलाव आता है या नहीं.