आर्यन श्रीवास्तव/न्यूज़11 भारत
कोडरमा/डेस्क:-सत्ता तक पहुंचने की बेचैनी में कांग्रेस अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की पराकाष्ठा पर पहुंच गई है.अपनी पुरानी लीक पर चलते हुए कांग्रेस ने सत्ता में आने पर संपत्ति पुनर्वितरण की बात कही है जो कि देश के लिए घातक है. कांग्रेस का कहना है कि वो Inheritance Tax लगाएगी, माता-पिता से मिलने वाली विरासत पर भी टैक्स लगाएगी.आप जो अपनी मेहनत से संपत्ति जुटाते हैं, वो आपके बच्चों को नहीं मिलेगी.कांग्रेस का पंजा वो भी आपसे लूट लेगा. जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि कांग्रेस का मंत्र है- कांग्रेस की लूट... जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी.
चिंताजनक यह है कि ऐसे दौर में जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी देश के उद्यमियों को ज्यादा से ज्यादा कमाकर राष्ट्रीय उत्पादकता और राष्ट्रीय आय बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, कांग्रेस कमानेवालों को तकलीफ और मुफ्तखोरों को इनाम देना चाहती है. आपत्तिजनक यह भी है कि कांग्रेस का इरादा आम आदमी की पुश्तैनी आय और संपत्ति पर भी भारी करारोपण का है. 60 के दशक से कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति को चुनाव जीतने का हथियार बनाया.अब कांग्रेस फिर से एक बार तुष्टिकरण के आधार पर आगे बढ़ना चाहती है.
कांग्रेस का ये एजेंडा भले ही 05 अप्रैल को सामने आया लेकिन इससे पहले ही कांग्रेस इसकी पटकथा लिख चुकी थी.राहुल गांधी ने भी महाराष्ट्र में हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम (16 मार्च 2024) में कहा कि किसके पास कितनी संपत्ति है, इसके लिए एक व्यापक आर्थिक, वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण किया जाएगा.
इसके बाद फिर राहुल गांधी ने (6 अप्रैल 2014) तेलंगाना में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पार्टी के 'जितनी आबादी उतना हक' नारे का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो यह पता लगाने के लिए एक वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण कराएगी कि देश की अधिकतर संपत्ति पर किसका नियंत्रण है.स्पष्ट है कि कांग्रेस हमारी संपत्ति, गरीबों और हाशिये पर पड़े लोगों, एससी, एसटी की संपत्ति, महिलाओं की बचत को छीनना चाहती है और इसे विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के बीच पुनर्वितरित करना चाहती है|
यानि अगर कांग्रेस को मौका मिल गया तो हमारी माताओं – बहनों के गहने, हमारी आपकी बचत, खून पसीने की कमाई से अर्जित जमीन – मकान, व्यापार – कारोबार से अर्जित की गयी संपत्ति आदि सर्वे के बाद औसत से अधिक पाये जाने पर छीन ली जायेगी और उसे पुनर्वितरित कर दिया जायेगा.
जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गाँधी की अगुवाई वाली कॉन्ग्रेस सरकारों ने लोगों की कमाई जब्त करने वाले ऐसे ही कानून 1963 और 1974 में पास किए थे.इनका नाम कम्पलसरी डिपाजिट स्कीम एक्ट था.इसके अंतर्गत सभी करदाताओ, सम्पत्ति धारकों और सरकारी कर्मचारियों को अपनी कमाई का 18% सरकार के पास जमा करना होता था. एक तरफ जहां मोदी सरकार लोगों की कमाई बढ़ा कर देश को सशक्त करना चाहती है, कांग्रेस का इरादा लोगों की कमाने की आदत को हतोत्साहित करना है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का है| ठीक इसी दौरान कोशिश हो रही थी कि शिड्यूल्ड कास्ट की लिस्ट में मुसलमानों को भी घुसाया जाए.
ये भी सिफारिश की गई कि कोई एससी अगर धर्म बदल कर मुसलमान या ईसाई बनता है तो भी उसका एससी दर्जा बना रहे.रंगनाथ कमीशन ने मुसलमानों को नौकरियों में 15% आरक्षण देने की सिफारिश की थी.ओबीसी के 27% से 6% काटकर मुसलमानों को देने की सिफारिश भी कांग्रेस द्वारा गठित इस आयोग में है.
यह विचार कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है, कांग्रेस में गहराई से व्याप्त है.कांग्रेस भारत के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने पर तुली हुई है.प्रेस वार्ता में शामिल कोडरमा लोकसभा संयोजक रामचन्द्र सिंह, पूर्व जिला अध्यक्ष विरेन्द्र सिंह, सुरेश यादव, जिला मीडिया प्रभारी चन्द्रशेखर जोशी, मनोज कुमार झुन्नु, जिला महामंत्री शिवेन्द्र नारायण सिन्हा, कोडरमा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष दिनेश सिंह, नरेन्द्र पाल, राजकिशोर प्रसाद,दिनेश्वर प्रसाद, कृष्णा ब्रहपुरिया, आदि उपस्थित थे.