बोकारो : स्कूल जहां बच्चों की शिक्षा की बुनियाद पड़ती है, लेकिन अगर यह बुनियाद ही कमजोर हो तो इमारत कितनी मजबूत होगी यह अंदाजा लगाना आसान है. बोकारो के चास स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय भंडारो का हाल भी कुछ ऐसा ही है.
‘पढ़ेगा झारखंड, बढ़ेगा झारखंड’ ये स्लोगन है झारखण्ड सरकार का जो भाजपा की सरकार ने दिया था. सभी विद्यालयों में बेंच-डेस्क की सुविधा, 90 प्रतिशत स्कूलों में पेयजल व शौचालय की वयवस्था. अगर हम कहें कि इन सभी के अलावा सबसे महत्पूर्ण जरूरत है इन स्कूलों को तो शिक्षक की. परन्तु सरकार ने कभी यह सोचा ही नहीं और बच्चों के भविष्य के साथ खिलावड़ करती रही है.
बोकारो के चास में स्तिथ उत्क्रमित मध्य विद्यालय भंडरो का हाल कुछ ऐसा ही है, जहां केजी से कक्षा 8 तक की पढाई होती है. कुल क्लास 9 और शिक्षक सिर्फ 6. इतना ही नहीं एक ही कमरे में तीन वर्गों के बच्चे को एक साथ पड़ाया जाता है. पारा शिक्षक निर्मल चंद्र महतो का भी मानना है कि पढ़ाने में काफी दिक्कत होती है पर हम किसी तरह से इसे पूरा कर रहे हैं.
अगर हम कक्षा 5 और 7 की बात करें तो कोई शिक्षक नहीं दिख रहे हैं. क्लास में बच्चों को राइटिंग लिखने देकर शिक्षक खाना पूर्ति कर रहे हैं. बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. चुंकि 30 मार्च से कक्षा 6 व 7 की परीक्षा शुरू होने वाली है. बच्चों का कोर्स भी अधूरा है. जरा सोचिए ये बच्चे परीक्षा में क्या लिखेंगे और उनका रिजल्ट कैसा होगा.
स्कूल के प्रिंसिपल अरविन्द कुमार कहते हैं कि 6 शिक्षकों में से 3 शिक्षक एग्जाम ड्यूटी में गए हैं तो बच्चों को वर्क देकर पंद्रह-पंद्रह मिनट एक-एक क्लास में जाते हैं और होमवर्क बनाने को देते हैं. इनका भी मानना कि बच्चों शिक्षा पर असर पड़ रहा साथ ही यह भी माना कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. सरकार से मांग भी की गयी कि क्लास के अनुसार शिक्षक मिलना चाहिए.
बहरहाल, पिछली सरकार ने चाहे जो भी किया हो अब हेमंत सरकार को यह चुनौती है कि झारखंड राज्य में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को कैसे दूर करेंगे और बच्चों के भविष्य को कैसे सुधारेंगे. साथ ही ‘पढ़ेगा झारखंड, बढ़ेगा झारखण्ड’ स्लोगन को भी सच करने का काम करना होगा.