आशीष शास्त्री/ न्यूज11 भारत
सिमडेगा/डेस्कः आस्था और पवित्रता का महापर्व चैती छठ पूजा के दूसरे दिन शनिवार को छठव्रतीयो ने खरना पूजन किया. छठ व्रती दिनभर उपवास रखने के बाद शाम को पूरे शुद्धता के साथ प्रसाद बनाई और छठी मईया को प्रसाद के रूप में भोग अर्पित की जिसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया. खरना का प्रसाद लेने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु व्रती के घर पहुंचे और प्रसाद ग्रहण किया. 14 अप्रैल को सायंकालीन एवं 15 अप्रैल को प्रातः कालीन अर्ध्य भगवान सूर्य को अर्पित कर इस महापर्व का समापन होगा.
खरना को लोहंडा भी कहती हैं. छठ पर्व में इस दिन का विशेष महत्व होता है. नहाय-खाय वाले दिन घर को पवित्र कर व्रती अगले दिन की तैयारी करती हैं. जब खरना आता है तो सुबह व्रती स्नान ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखते हैं. इसी दौरान अगले दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद भी बनाया जाता है. शाम को पूजा के लिए गुड़ से बनी खीर बनाई जाती है. इस खीर को कुछ जगहों पर रसिया भी कहते हैं. इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है. हालांकि शहरी इलाकों में मिट्टी के चूल्हे की उपलब्धता न हो पाने की स्थिति में कुछ लोग नए गैस चूल्हे पर भी इसे बनाते हैं. पर चूल्हा नया हो और अशुद्ध न हो इसका खास ध्यान रखा जाता है.