जेपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ दिलीप प्रसाद सहित 37 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल
न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः लंबे समय के बाद 12 साल पुरानी जेपीएससी परीक्षा में गड़बड़ी मामले में सीबीआई ने CBI के न्यायाधीश पीके शर्मा की कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया. केस नंबर RC 5/2012 AHDR में CBI की विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया. मामले में सीबीआई ने जेपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ दिलीप प्रसाद, वरिय सदस्य गोपाल प्रसाद सिंह, सदस्य शांति देवी, परीक्षा नियंत्रक एलिस उषा रानी, राधा गोविंद नागेश सहित 37 लोगों को आरोपी बनाया है. बता दें, साल 2000 में झारखंड राज्य के गठन के बाद आयोजित हुई पहले और दूसरे जेपीएससी परीक्षा में जमकर धांधली होने का आरोप लगाया गया था. मामले में जांच के दौरान कई बाते सामने आई थी. जांच में पता चला था कि कई लोग जेपीएससी की परीक्षा दिए बिना ही अफसर बन गए थे.
जानें क्या है पूरा मामला
झारखंड राज्य अलग होने के बाद पहले और दूसरे जेपीएससी परीक्षा में जमकर धांधली को अंजाम दिया गया था. जांच में यह बात सामने आई थी कि कई लोग बिना कॉपी में लिखे ही अफसर बन गए. पहले जेपीएससी घोटाले की जांच ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) की टीम ने की लेकिन बाद में ACB ने मामले में जांच की सीबीआई को दे दी. जेपीएससी परीक्षा में धांधली की जांच करते हुए सीबीआई की टीम ने प्रथम जेपीएससी के 62 और द्वितीय जेपीएससी के 172 अधिकारियों की नियुक्ति शुरू की थी. मामले में सीबीआई की जांच 12 वर्षों तक यानी काफी लंबी चली. इस मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआई को 2012 में जांच का आदेश दिया था लेकिन 12 वर्षों बाद शनिवार (4 मई 2024) को सीबीआई ने मामले में चार्जशीट दायर किया. इस मामले में सीबीआई ने 37 लोगों को आरोपी बनाया.
मामले में कब क्या हुआ था, जानें
जानकारी के लिए आपको बता दें, प्रथम जेपीएससी का रिजल्ट साल 2004 और द्वितीय जेपीएससी का रिजल्ट साल 2008 में जारी किया गया था. दोनों परीक्षा का रिजल्ट जारी होने के बाद जमकर हंगामा हुआ था. अभ्यर्थियों ने दोनों परीक्षा में बड़ी धांधली और गड़बड़ी का आरोप लगाया था जिसके बाद राज्य सरकार ने निगरानी टीम को मामले में जांच का जिम्मा सौंप दिया. इस दौरान झारखंड हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग को लेकर पीआईएल दर्ज की गई. जिसके बाद मामले में हाईकोर्ट के तत्कालीन जस्टिस एन तिवारी ने 2012 में प्रथम बैच के 20 अधिकारियों के वेतन पर रोक लगाई थी इसके साथ ही सरकार को उसने काम लेने पर भी रोक लगाई थी.
हालांकि इस विरोध के बाद अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसके बाद साल 2014 में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए सीबीआई जांच के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित करते हुए याचिकाकर्ता को काम पर रखने और वेतन देने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सभी 20 अधिकारियों को उनके पदों पर बहाल किया गया और उसके बाद मामले में जांच बंद कर दी गई थी. लेकिन साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट में झारखंड सरकार ने फिर से रिव्यू पिटीशन दाखिल की. इसपर मामले में कोर्ट ने सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी उसके बाद से ही सीबीआई की जांच इस मामले में जारी थी.