रांचीः जो पूरी दुनिया में नहीं हुआ था वह झारखंड की राजधानी रांची के एक क्लीनिक में हुआ. कोरोना संक्रमण के दौरान खास तौर पर मधुमेह से पीड़ित रोगियों को जब स्टेरॉइड का इंजेक्शन या दवाएं दी जाती हैं तो कम इम्यूनिटी वाले मरीज को म्यूकर माइकोसिस या ब्लैक फंगस नाम की बीमारी हो जाया करती है. इस बीमारी का लक्षण यह है कि चेहरे और नाक और आंख में दर्द होता है सिर दर्द होता है और बुखार भी आ जाता है. लोग इसको सामान्य शिवदत्त समझ कर लापरवाही बरतते हैं और यह इन्फेक्शन सबसे पहले साइनस में प्रवेश करता है फिर आंख को प्रभावित करते हुए दिमाग की तरफ बढ़ता है. इसीलिए मरीज की आंख निकाल कर मरीज की जान बचाई जाती है. झारखंड में भी इस बीमारी ने दस्तक दे दी है रांची के ही एक बड़े अस्पताल में आंख निकाल कर रामगढ़ के एक मरीज की जान बचाई गई है.
मंगलवार को चतरा के युवक श्रवण कुमार का कडरू स्थित लाल क्लीनिक में डॉ समित लाल ने ऑपरेशन किया डेढ़ घंटे चले इस रेयर ऑपरेशन में मरीज की आंख बचा ली गई मरीज पूरी तरह स्वस्थ है और बातचीत कर सकता है. मरीज श्रवण कुमार ने बताया कि कैसे कोरोना संक्रमण के ठीक होने के बाद उसके चेहरे में दर्द रहने लगा था, कुछ लोकल मेडिसिन लेने के बाद भी जब आराम नहीं हुआ तो उसने रांची जाकर ईएनटी स्पेशलिस्ट को दिखाने का फैसला किया.
डॉ समित लाल ने सीटी स्कैन करवाया और पाया कि मरीज ब्लैक फंगस नाम की बीमारी से पीड़ित है और अभी फॉरन ऑपरेशन कर उसकी आंख को बचाया जा सकता है. मरीज ने हामी भरी और डॉ समित लाल ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया और अपने आप में एक नया कीर्तिमान भी रचा mucor माइकोसिस के कारण गुजरात में 10 मरीजों की आंखें निकालकर उनकी जान बचाई गई है. इस भयंकर बीमारी के कारण एक व्यक्ति अपनी आंखें खो देता है, इसलिए अगर किसी को करोना संक्रमण के बाद चेहरे और नाक के ऊपर दर्द हो त्वचा में लाली दिखाई दे और यह दो-तीन दिन तक ना जाए तो सीधे ईएनटी स्पेशलिस्ट से संपर्क करें.