प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: लोकसभा क्षेत्र में नामांकन करने के साथ हीं भाजपा, कांग्रेस व अन्य दलों के प्रत्याशियों ने चुनावी प्रचार अभियान तेज कर दिया है. प्रत्याशियों के द्वारा हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के विभिन्न पंचायत व प्रखंडों में चुनावी जनसंपर्क अभियान जोर-शोर से चलाया जा रहा है. वहीं कार्यकर्ताओं के द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से सक्रिय होकर प्रचार अभियान तेज कर दिया गया है. सूत्रों की माने तो हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र में चुनावी मुकाबला रोमांचक होगा. लोकसभा क्षेत्र के कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी जयप्रकाश भाई पटेल व भाजपा समर्थित प्रत्याशी मनीष जायसवाल दोनों ने ही अपनी पूरी ताकत चुनावी मैदान में झोंक दिया है. देखना दिलचस्प होगा कि हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र की जनता किस प्रत्याशी को अपना आशीर्वाद देकर जीत का सेहरा ताजपोशी पहनाती है.
अब तक हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र में जनता का मिजाज किसके पक्ष में है यह तो अंतिम समय में ही पता चल सकता है. बहरहाल, जो भी हो हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र में जीत हार में कुर्मी जाति और मुसलमानों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. आंकड़े बताते हैं कि इस बार लोकसभा चुनाव में जयप्रकाश भाई पटेल तथा मनीष जायसवाल के बीच सीधा टक्कर होने की संभावना बनी हुई है. चुनावी रणनीति से अभी पता चलता है कि लोकसभा क्षेत्र में इस बार कांग्रेस अपने पत्ता खोलने में कारगर साबित हो सकते हैं. प्रत्याशियों के द्वारा क्षेत्र में जनसंपर्क, नुक्कड़ सभा तथा सोशल मीडिया के सहारे चुनावी प्रचार अभियान जोर-जोर से चलाया जा रहा है. जनता का मिजाज किसके पक्ष में है यह तो वक्त ही बता सकता है. लोकसभा क्षेत्र की जनता पहले से मन बना चुकी है की चुनाव में वोट किसे देना है.
मतदाता के मन को टटोलना बहुत मुश्किल है लेकिन चुनावी रणनीति के साथ साथ कार्यकर्ताओं के द्वारा चलाए जा रहे है. कैपिंग जनसंपर्क पर निर्भर करता है कि वह जनता को कितना रिझाने में सफल हुए है. लोकसभा क्षेत्र आज भी विकास बुनियादी सुविधाओं के अभाव में झुलस रही है. कहीं-कहीं गांव में तो सड़क, बिजली, स्वास्थ्य केंद्र भी नसीब नहीं हो पाई है. चुनाव में प्रत्याशी वोट मांग कर अपने वादे के प्रति खरा नहीं उतरते है. प्रत्याशी वोटरों से विकास के नाम पर वोट मांगने का काम करता है लेकिन विकास सिर्फ एक चुनावी मुद्दा बनकर रह जाता है.
चुनावी दंगल में प्रत्याशी के मुद्दे क्या है वह जनता के पास कि मुद्दों को लेकर वोट मांग रहे है. यह तो मतदान के दिन ही आकलन किया जा सकता है. हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र की जनता की बदलती मिजाज से चुनावी हार जीत का फैसला कैद होती है. गौरतलब है कि प्रत्याशियों के द्वारा प्रचार अभियान चलाए जा रहे है लेकिन वह कितना कारगर होगा वह तो मतदान के दिन पता चल सकता है. फल स्वरुप जो भी हो लोकसभा क्षेत्र में भाजपा कांग्रेस आमने-सामने होकर चुनावी दंगल का सामना करेंगे.