प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क:- विवि व कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति तथा पीएचडी करने के लिए होने वाली झारखंड पात्रता परीक्षा (जेट) में में लाइफ साइंस के अंतर्गत केवल जंतु विज्ञान एवं वनस्पति विज्ञान को ही शामिल किया गया है. लेकिन, राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) में लाइफ साइंस के सभी विषयों जैसे बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, प्लांट, बायोटेक्नोलॉजी, बायोफिजिक्स को शामिल किया गया है. जबकि, इन विषयों की पढ़ाई झारखंड के लगभग सभी विवि में होती है. विषयों को शामिल नहीं किये जाने पर विद्यार्थी चिंतित हैं. भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के हजारीबाग जिला अध्यक्ष अभिषेक राज ने आज विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलसचिव के नाम ज्ञापन सौंपा और बताया की बायोटेक्नोलॉजी विषय की पढ़ाई झारखंड में (पूर्व में बिहार) स्नातक स्तर पर वर्ष 1994-1995 और स्नातकोत्तर स्तर पर वर्ष 2004-2005 और इसके कुछ वर्षों के बाद ही पीएचडी भी करवाई जा रही है. इस विषय की पढ़ाई पूर्वोत्तर भारत में कुछ ही गिने चुने महाविद्यालयों में स्नातक स्तर पर हुई थी. इस विषय की आवश्यकता को देखते हुए पुनः इसकी पढ़ाई स्नातकोत्तर पे भी हो रही है, साथ ही साथ पीएचडी भी कराई जाती है. यह विषय सेल्फ फाइनेंस तरीके से संचालित होता है. राज्य के विभिन्न पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति एवं जनजाति एवं दूसरे राज्य के छात्र भी झारखंड में आकर इस विषय का अध्ययन करते हैं. छात्राएँ भी बहुत अधिक संख्या में इस विषय का अध्ययन करती है. विगत कई वर्षों में ये छात्र ना सिर्फ सरकारी, बल्कि विभिन्न निजी कंपनियों में भी कार्यरत हैं. छात्र, न सिर्फ भारत में, भारत के शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थानों से शोध एवं पीएचडी कर रहें हैं. पिछले तीन चार वर्षों में कोरोना महामारी का टीका बनाने में और लोगों को इस त्रासदी से बचाने में बायोटेक्नोलॉजी विषय के अमूल्य योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है. अभिषेक ने बताया की वे खुद भी विनोबा भावे विश्वविद्यालय के बायोटेक विभाग से बायोटेक्नोलॉजी विषय में स्नातकोत्तर कर चुके हैं ,इस विषय को शामिल नहीं किए जाने से हजारों छात्रों के भविष्य पर प्रभाव पड़ेगा इसलिए जल्द से जल्द उच्च शिक्षा विभाग तथा राज्य सरकार से वार्ता करके बायोटेक विषय को शामिल किया जाए . बायोटेक्नोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ इंद्रजीत कुमार के द्वारा भी लगभग दो महीने पहले ही इस संदर्भ में विश्वविद्यालय प्रशासन को अवगत करवाया जा चुका है लेकिन अभी तक कोई भी उचित कदम नहीं उठाया गया है जिसको लेकर विद्यार्थी चिंतित हैं.