रांची : झारखंड जब से बना एक चीज लगातार हुई. झारखंड में घोटाले होते गये. कुछ सामने आये, कुछ सामने नहीं आ पाये. अब एक घोटाला जिसकी चर्चा पिछले कई दिनों से हो रही है वो है टेंडर घोटाला. इस टेंडर घोटाले का पूरा महाभारत है. ये पूरा महाभारत आपको न्यूज11 भारत दिखायेगा. सबसे पहले समझिये ये टेंडर घोटाला है क्या....
भ्रष्टाचार का पहला कदम
- किसी भी सरकारी निर्माण की पहली कवायद होती है डीपीआर
- डीपीआर मतलब योजना का आकार प्रकार और व्यवहार
- डीपीआर तैयार करने में ही अधिकारियों का बड़ा खेल
- कैसे होती थी डीपीआर में गड़बड़ी
- डीपीआर में ओवर एस्टीमेट का खेल होता था
- पहले ओवर एस्टीमेट का खेल
- फिर 20 से 30 फीसदी कम रेट पर टेंडर दिया जाना
भ्रष्टाचार का दूसरा कदम
- डीपीआर की कॉपी भी पहले ही फायदा मनचाहे ठेका कंपनी के सुपुर्द कर दी जाती थी
भ्रष्टाचार का तीसरा कदम
- अब अगला कदम होता था टेंडर के नाम पर आंखों में धूल झोंका जाना
- प्रक्रिया सरकारी होती थी, पर मेहरबानी सरकारी बाबू की होती थी
- सब कुछ पहले से तय होता था, पर दिखाया जाता था कि काम प्रक्रिया के तहत होता था
- ये खेल हर उस विभाग में होता था जहां किसी न किसी चीज का निर्माण होना था
- मसलन पथ निर्माण, भवन निर्माण, जल संसाधन, पेयजल स्वच्छता, ऊर्जा....
- यानि कमोबेश हर विभाग में ये खेल चलता था
- एक ही तरह की योजना के लिये कई तरह के डीपीआर बनते थे
घोटाले की काली कमाई से प्रसन्ना कुमार ने कराया लापूंग के सांई मंदिर का निर्माण
रांची : जगन्नाथपुर साईं मंदिर में अगर आप सेवा में लगे किसी से भी ये सवाल पूछ दें कि इस मंदिर का निर्माण करवाया किसने तो, जवाब कोई नहीं देगा. कोई ये बताने को तैयार नहीं कि इस मंदिर का निर्माण किसने करवाया. चलिये अब उस सच से आपको रूबरू करवाते हैं. जो इस पाक, पवित्र जगह को पाप का ठिकाना बनाने की साजिश है. नीचे दिये गये वीडियो में देखिये कैसे इस पवित्र जगह को पाप का ठिकाना बनाने की साजिश की गयी.
आपको बता दें कि ये मंदिर अघोषित रूप से पथ निर्माण विभाग का है. अब आप ये तो समझ ही चुके हैं. कि टेंडर घोटाले से इसके तार कैसे जुड़े हुए हैं. अभी तो ये पहला अध्याय है जो आपको हैरत से भर रहा है. तो आप सोच लें कि भ्रष्टाचारियों ने किस कदर इश्वर और शैतान के बीच की दीवार को गिराते हुए एक मंदिर को भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ा कर दिया.
न्यूज11भारत पर घोटालों के खबर दिखाए जाने के बाद हड़कंप, 6 विभागों में हुए बड़े टेंडरों की होगी जांच
विकास आयुक्त की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति गठित
रांची : न्यूज11भारत पर घोटालों के खबर दिखाए जाने के बाद सूबे में हड़कंप मच गया. झारखंड में पिछली सरकार के दौरान पथ निर्माण, भवन निर्माण, ग्रामीण कार्य, जल संसाधन, नगर विकास और पेयजल स्वच्छता विभाग में हुए बड़े टेंडरों की जांच होगी. सभी बोर्ड और निगमों के टेंडर भी जांचे जाएंगे. पथ निर्माण विभाग में पिछले चार सालों में हुए टेंडरों की जांच के लिए तकनीकी समिति बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. गड़बड़ी करने वाले निचले स्तर तक के अफसरों पर भी कार्रवाई होगी. जांच के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी बना दी गई है. इसमें संबंधित विभाग के सचिव को भी रखा गया है. कमेटी के सहयोग के लिए तकनीकी कमेटी बनेगी, ताकि हर मामले की पड़ताल हो सके.
विकास आयुक्त सुखदेव सिंह की अध्यक्षता में बनी कमेटी में योजना एवं वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव, पथ निर्माण सचिव, भवन निर्माण सचिव, ग्रामीण विकास विभाग के ग्रामीण कार्य सचिव और जल संसाधन विभाग के सचिव को शामिल किया गया है. इस समिति को 1 अप्रैल 2016 से अब तक के टेंडर की जांच करनी है. अप्रैल 2016 से पहले के टेंडर की भी सैंपल जांच कर कमेटी को 25 मार्च तक रिपोर्ट देनी है. ताकि गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई की जा सके.
इधर, विधायक सरयू राय ने कहा कि पथ निर्माण विभाग के घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्य सचिव की भी भूमिका है. इसलिए सरकार को एसआईटी गठित कर इस मामले की जांच करानी चाहिए. यानी खुदको बेदाग छवि की बताने वाली झारखंड की पूर्व रघुवर सरकार की मुश्किलों में इजाफा तय है.
झारखंड में एक और टेंडर घोटाले ने ला दिया सियासी भूचाल
झारखंड में एक और टेंडर घोटाले ने सियासी भूचाल ला दिया है. खास बात यह है कि इस घोटाले की शुरुआत कहां से होती है और कहां जाकर ये रुकेगी ये किसी को पता नहीं है. मतलब हर एक ऐसा विभाग जहां निर्माण और निर्माण को लेकर डीपीआर का खेल संभव है. वहां तक इस टेंडर घोटाले की आग पहुंच चुकी है. ऐसे में लाजमि है कि इस घोटाले को लेकर सत्तारुढ़ दल और विपक्ष का आमने-सामने होना. चुकिं ये पूरा मामला रघुवर दास सरकार के कार्यकाल का है इसलिये शायद बीजेपी को ये बात कुछ हजम नहीं हो रही. बीजेपी को जांच पर आपत्ति तो नहीं है. पर वो दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई पर सवाल खड़े कर रही है.
झारखंड निर्माण से लेकर अबतक घोटालों की बात करें तो शायद गिनती कम पड़ जाये. आज भी जब डीपीआर के नाम पर घोटाले की कलई समय के साथ खुद ब खुद खुलती जा रही है. तब सत्तारुढ़ दल के चेहरे पर वो मुस्कान झलक ही जाती है. आखिर हो भी क्यों नहीं... बगैर कुछ किये पूर्ववर्ती सरकार अपने ही जाल में फंसती नजर आ रही है.
झारखंड में ब्यूरोक्रेट्स के जलवे को कौन नहीं जानता. यहां तो सबकुछ सरकारी बाबू के इशारे पर ही होता रहा है. हां ये बात जरूर है कि जब जिसकी सरकार सत्ता में रही ऐसे सरकारी बाबूओं के जाल में फंसकर राजनीतिक नुकसान झेल चुकी है. ऐसा नहीं है कि पिछले सरकार के कार्यकाल के दौरान ऐसे कारनामों पर सत्तापक्ष के अंदर से आवाज नहीं उठी. बल्की सरयू राय जैसे जानकार मंत्रियों ने अपनी सरकार को आगाह भी किया. अब वर्तमान सरकार के मंत्री सरयू राय के तर्ज पर ही एसआईटी जांच की मांग कर रहे हैं.
हर बार की तरह हो सकता है कि इस बार भी राजनीति का ये झगझूमर चलता रहे. पर इन सबके बीच जनता का सवाल वही है कि आखिर ऐसे टेंडर घोटाले के नाम पर सरकार खजाने की लूट कब रुकेगी. क्योंकि सरकार खजाने का नुकसान मतलब जनता की हकमारी.