रांचीः ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डॉ. मनीष रंजन ने सभी जिलों के उप विकास आयुक्तों को पत्र के माध्यम से निर्देशित किया है कि अधिकतम 65 वर्ष तक के आयु के जिन मजदूरों के द्वारा किसी वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 15 दिनों तक मनरेगा अंतर्गत कार्य किया गया है, उनका उस वित्तीय वर्ष तथा उसके अगले वित्तीय वर्ष में मृत्यु अथवा दुर्घटना में मृत्यु अथवा अप्राकृतिक मृत्यु (हत्या सहित) अथवा अंग भंग हो जाने पर उनके वैध उत्तराधिकारी/ दुर्घटना से पीड़ित श्रमिक को अनुग्रह अनुदान की राशि का भुगतान किए जाने का प्रावधान है. इसके लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए अनुग्रह अनुदान हेतु राज्य कोष से कुल 10 करोड़ रुपए का बजटीय प्रावधान किया गया है.
सचिव के द्वारा बताया गया कि मनरेगा योजना अंतर्गत कार्य करने वाले श्रमिक राज्य के निर्धनतम परिवार के लोग होते हैं. ऐसे किसी श्रमिक की प्राकृतिक मृत्यु अथवा अप्राकृतिक कारणों से मृत्यु हो जाने पर परिवार की आर्थिक स्थिति बिलकुल दयनीय हो जाती है तथा इन्हें केंद्र सरकार द्वारा किसी प्रकार का अनुग्रह अनुदान का लाभ नहीं दिया जाता है. ऐसी स्थिति में निर्णय लिया गया है कि अधिकतम 65 वर्ष तक के आयु के जिन मजदूरों के द्वारा किसी वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 15 दिनों तक मनरेगा अंतर्गत कार्य किया गया है, उनका उस वित्तीय वर्ष तथा उसके अगले वित्तीय वर्ष में मृत्यु अथवा दुर्घटना में मृत्यु अथवा अप्राकृतिक मृत्यु (हत्या सहित) अथवा अंग भंग हो जाने पर निम्न प्रकार से अनुग्रह अनुदान की राशि का भुगतान उनके वैध उत्तराधिकारी/ दुर्घटना से पीड़ित श्रमिक को किया जाएगा –
- दुर्घटना में मृत्यु अथवा अप्राकृतिक मृत्यु (हत्या सहित) होने अथवा स्थायी रूप से विकलांग/ अंग भंग हो जाने पर राशि 75,000 रुपए
- दुर्घटना में आंशिक रूप से विकलांग होने पर राशि 37,500 रुपए
- सामान्य मृत्यु होने पर राशि 30,000 रुपए
- मनरेगा योजना अंतर्गत निर्मित डोभा में डूबकर मरने वाले मृतकों के आश्रितों को अनुग्रह अनुदान का भुगतान के रूप में 50,000 रुपए
सचिव ने सभी जिलों के उप विकास आयुक्तों को एक सप्ताह के अंदर ऐसे सभी मृत श्रमिक/दुर्घटना से पीड़ित श्रमिकों को चिन्हित कर सूची विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है तथा यह भी निर्देश दिया गया है कि ऐसे किसी प्रकार की घटना होने पर तुरंत विस्तृत स्थानीय जाँच किया जाय तथा मामला सही पाये जाने पर 24 घंटे के अंदर आश्रित/पीड़ित को राशि उपलब्ध कराई जाए.