बेरमो : सोमवार देर शाम पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर दिल्ली से बेरमो लाया गया. बेरमो के ढोरी स्थित आवास पर पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. मंगलवार को दामोदर में रामविलास स्कूल के पास स्थित श्मशान घाट पर राजकीय सम्मान के साथ राजेंद्र प्रसाद सिंह का अंतिम संस्कार हुआ. और राजेंद्र बाबू पंचतत्व में विलीन हो गये.
दोनों बेटों के कंधे पर सवार झारखंड का बेटा चला गया. ऐ काले हीरे अगर तुझे अपनी तपिश पर अंहकार है.. तो पूछ जरा इस सैलाब से.. कि वै कौन है जो खत्म होकर भी दिलों में कभी ना बुझने वाली आग छोड़ गया.. क्षितिज से कोई पूछे जरा इस जन सैलाब को क्या नाम देगा.. जो खत्म ही नहीं हो रहा.. लाखों मजदूरों ने अपनी आवाज खो दी.. नेता ने अपना नेतृत्व खो दिया.. राज्य के मुखिया ने अपना अभिभावक खो दिया.. गुरूजी ने अपनी प्रेरणा खो दी... आम इंसान ने तो अपना सबकुछ खो दिया.. राज्य ने एक व्यवहार खो दिया... धरती ने अपना लाल खो दिया.. आज किसकी आंखे नम नहीं है.. कौन है वे जो इस धरती पर सबको अनाथ कर हमेशा के लिये चला गया.
राजेन्द्र प्रसाद सिंह युगों-युगों तक अपने व्यवहार के लिये याद किये जायेंगे. जब-जब नेताओं की व्यवहार की चर्चा की जायेगी पहला नाम हमेशा राजेन्द्र बाबू का आयेगा. अपने जीवन काल से बड़ा अपना नाम करने वाला झारखंड का बेटा आज पंचतत्व में मिल गया. आज तिरंगा भी शरीर से लिपटकर धरती के लाल का सजदा कर रहा है. कांग्रेस का झंड़ा भी झुककर अंतिम सलाम कर रहा है. इस वक्त पैदा हुए शुन्य को हर कोई कभी ना भरने वाला खाई बता रहा है.
आज दलों से बड़ा नेता चला गया, तभी तो हर दल के नेता रो रहे. आज कौन यहां पराया है कौन विपक्षी, ये ना पूछ आसमां. आज तो जाने वाला सभी का अपना है. सभी का प्रिय सभी का दोस्त सभी का चाचा है. बंदूकों से निकली गोलियों की आवाज की सलामी के साथ एक आवाज गुम हो गई. लेकिन जबतक इस दामोदर में पानी रहेगा तबतक राजेन्द्र बाबू की स्मृति रहेगी.