रांची : बिना डॉक्टरी सलाह लिए एंटीबायोटिक खाने वाले लोग हो जाये सावधान. ऐसा करना दिल व किडनी के मरीजों के लिए है जानलेवा. जानकारी के अभाव में ज्यादातर मरीज दवा दुकानों से खरीद कर खा रहे हैं दवा. हर बीमारी के लिए अलग-अलग होती है एंटीबायोटिक और उसकी खुराक. अनुभवी विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बतायें है एंटीबायोटिक दवा खाने के फायदे और नुकसान.
डॉक्टरों की सलाह के बगैर एंटीबायोटिक या दवा खाना कितना खतरनाक हो सकता है, आप इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं. खास कर हृदय रोगियों और किडनी के मरीजों को आमतौर पर ली जाने वाली एंटीबायोटिक के प्रति सावधान रहना चाहिए. इन दवाओं के सेवन से हृदय व किडनी रोगियों की मौत की आशंका बढ़ सकती है.
तीन दिनों तक करना चाहिए इंतजार, फिर डॉक्टरी सलाह के बाद एंटीबायोटिक का करें सेवन : डॉक्टर भदानी
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एमके भदानी ने बताया कि किसी भी बीमारी या इंफेक्शन को ठीक करने में एंटीबायोटिक का अहम रोल होता है, बशर्ते उसे डॉक्टरों की सलाह से ली जाए. उन्होंने बताया कि एंटीबायोटिक का उपयोग जहां जरूरत हो वहीं करना चाहिए. एंटीबायोटिक की जरूरत जहां नहीं हो वहां नहीं लेनी चाहिए. वायरल फीवर, टॉन्सिल आदि जैसी बीमारियों में एंटीबायोटिक का उपयोग तुरंत नहीं करना चाहिए. कम से कम तीन दिनों तक इंतजार करना चाहिये. तीन दिनों में ठीक नहीं होने पर ही एंटीबायोटिक का उपयोग करना चाहिए. साथ ही एंटीबायोटिक का उपयोग डॉक्टर के परामर्श पर ही लेना चाहिए. क्योंकि अलग-अलग इंफेक्शन के लिए अलग-अलग एंटीबायोटिक का यूज होता है. एंटीबायोटिक के ओवर डोज से नुकसान होता है. इन दवाओं को बिना जरूरत के प्रयोग से बैक्ट्रीया उस एंटीबायोटिक को एडॉप्ट कर लेते हैं, ऐसे में बैक्टीरियल इंफेक्शन में एंटीबायोटिक काम करना बंद कर देता है. एंटीबायोटिक के ज्यादा उपयोग से इसका असर हार्ट, किडनी और लीवर पर पड़ता है.
एंटीबायोटिक के अत्यधिक सेवन से किडनी व लिवर पर भी पड़ता है प्रभाव : डॉक्टर प्रज्ञा
वहीं किडनी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रज्ञा पंत ने भी कहा कि बिना डॉक्टरी सलाह के एंटीबायोटिक खाना जानलेवा साबित हो सकता है. सही बीमारी के लिए सही दवा की सही डोज काफी जरूरी है. सही दवा और डोज नहीं मिलने से मरीज की किडनी और लिवर पर बुरा असर पड़ता है. अत्यधिक एंटीबायोटिक के सेवन से किडनी फेल्योर की नौबत आ सकती है और मरीज डयलिसिस पर जा सकता है. वहीं उसकी जान को भी खतरा रहता है.
डॉक्टर एमके भदानी ने बताया कि दो हफ्ते से अधिक समय तक क्लैरिथ्रोमाइसिन दवा का सेवन करने वालों में हार्ट अटैक या अचानक मौत की आशंका अधिक रहती है. क्लैरिथ्रोमाइसिन और अजिथ्रोमाइसिन एक ही समूह की दो आमतौर पर दी जाने वाली दवाएं हैं. हालांकि एफडीए की मंजूरी से क्लैरिथ्रोमाइसिन का इस्तेमाल 25 साल से भी अधिक समय से किया जाता रहा है. एफडीए का कहना है कि क्लैरिथ्रोमाइसिन एंटीबायोटिक के मैक्रोलाइड्स समूह में आती है, जो संक्रमण से लड़ने के लिए बैक्टीरिया में प्रोटीन के उत्पादन को रोकती है.