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झारखंड


बालाजी मेटालिक क्रेसर का कारनामा, खनन एवं वन विभाग की भूमिका संदिग्ध

बालाजी मेटालिक क्रेसर का कारनामा, खनन एवं वन विभाग की भूमिका संदिग्ध
किरीबुरु- पश्चिम सिंहभूम जिले का लौहांचल कहा जाने वाला बडा़जामदा और नोवामुण्डी सेक्टर में लौह अयस्क का अवैध कारोबार मामले में जिला खनन विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है. बीते 20 फरवरी को खनन विभाग के इंस्पेक्टर विश्वनाथ उरांव, किरीबुरु के एसडीपीओ डॉ. हीरालाल रवि, इंस्पेक्टर वीरेंद्र एक्का, बडा़जामदा ओपी प्रभारी सोमनाथ सोरेन की संयुक्त टीम ने बडा़जामदा के गांवगुटु क्षेत्र के बालाजी मैटेलिक क्रेशर जिसके मालिक विजय जैन और सहयोगी देवेन्द्र सिंह हैं, क्रेशर के बाहर पहाड़ी से अवैध लौह अयस्क की खुदाई कर उक्त क्रेशर में जमा करने की शिकायत पर जांच की गई थी. जांच के दौरान पुलिस और खनन विभाग की टीम ने भारी विसंगतियां पायी थी. खनन विभाग क्रेशर में मौजूद स्टॉक को जहां बराबर मान रही है वहीं पुलिस इससे संतुष्ट नहीं है. क्रेशर के अंदर भारी वाहनों और ट्रकों के चक्का के निशान भी पाये गये थे. खनन विभाग द्वारा क्रेशर में पहले से मौजूद अयस्क और बाहर से लाकर रखे गये संदिग्ध अवैध अयस्क की गुणवता की वैज्ञानिक तरीके से जांच लैब में अब तक नहीं कराई गई. हालांकि भारी विसंगतियों को देखते हुए किरीबुरु एसडीपीओ ने 20 फरवरी को ही जिला कमिटी को पत्र लिखकर इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने का आग्रह किया था, लेकिन आज तक जांच नहीं कराई गई. सूत्रों के अनुसार किरीबुरु के इंस्पेक्टर वीरेंद्र एक्का भी उक्त क्रेशर की जांच कर अपनी रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक को भेजी है. खनन विभाग द्वारा अब तक उच्च स्तरीय जांच नहीं कराया जाना कई सवाल खडा़ कर रहा है. लौह अयस्क की तस्करी से राज्य और केन्द्र सरकार के राजस्व को जहां भारी नुकसान पहुंच रहा है वहीं माफिया मालामाल हो रहे हैं.

 

बालाजी मैटेलिक क्रेशर पर आरोप यह है कि उसे जितना लौह अयस्क उठाने की अनुमति खनन विभाग से मिली थी, उससे कई गुना अधिक लौह अयस्क वह अवैध तरीके से उठा ले गया. क्रेशर से लौह अयस्क का अवैध उठाव की भरपाई के लिए वह पास की पहाडी़ से अयस्क को काटकर वह क्रेशर में भर दिया, जिससे स्टॉक मिलान में वह अपने आप को सही बता सके. एक माइनिंग चलान के जरीये 10-10 वाहनों से अयस्क बाहर भेजा गया.

 

अवैध अयस्क की तस्करी का खेल में एक ही माइनिंग चलान पर 10-10 वाहन अयस्क की ढुलाई की जाती है. इसके लिए माफिया सभी वाहनों में सिर्फ जीएसटी/इन्वॉयस से जुड़ी कागज लगा देते हैं. इन फर्जी कागजों को सिर्फ खनन विभाग ही जांच में पकड़ सकती है, जबकि पुलिस को यह कागज समझ में नहीं आयेगा की असली है या नकली. इन्हीं कागजों के माध्यम से लौह अयस्क की तस्करी का खेल बडा़जामदा और नोवामुण्डी क्षेत्र के कई क्रेशरों और प्लॉट से शातिर अंदाज में खेला जा रहा है, जिसमें खनन विभाग की संलिप्तता सामने आ रही है.

 

इस मामले में जिला खनन पदाधिकारी निशांत अभिषेक से सम्पर्क करने पर उन्होंने कहा कि हमारे इंस्पेक्टर उक्त क्रेशर का स्टॉक जांच किये और स्टॉक बराबर पाया गया है. अभी भी हमारी जांच चल रही है और लौह अयस्क की ढुलाई में लगी अन्य वाहनों के कागजात आदि की भी जांच की जा रही है.

 

किरीबुरु के एसडीपीओ डॉ. हीरालाल रवि से सम्पर्क करने पर उन्होंने कहा कि उक्त क्रेशर में लौह अयस्क मामले में भारी विसंगतियां देखी गई थी, जिसकी उच्च स्तरीय वैज्ञानिक तरीके से जांच के लिए जिला कमिटी को बीते 20 फरवरी को ही पत्र लिखा गया है. क्रेशर के पास की पहाड़ी में नया खनन के प्रमाण भी मिले हैं. उक्त क्रेशर में पहले से मौजूद और ऊपर में रखा. नया अयस्क दोनों की लैब में वैज्ञानिक तरीके से जांच होने पर स्थिति स्पष्ट हो जायेगा.

 

लौह अयस्क माफियाओं का बोल-बाला कैसा है आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं, कि वन विभाग की चेक नाका गेट जहां दो गार्डों की नियुक्ति भी है गेट के अवशेष भी हैं, लेकिन ना कोई जांच ना ही किसी की मौजूदगी हैं. गेट पर ताला जड़ा है. जिस जगह कभी भी अवैध लौह अयस्कों को ले जा रही वाहनों को पकड़ा जाता था, उसे ही हटा दिया, और अब धड़ल्ले से वाहनों का आवागमन होता है.

 
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