के.एन.यादव/ न्यूज़ 11 भारत
दुमका/डेस्क:मसलिया अंचल क्षेत्र में इन दिनों जरमुंडी के हरिपुर,जामा, केराबनी खेरबनी होते हुए दर्जनों की संख्या में मसलिया के नयाडीह, कुंजबोना, खुटोजोरी, गोलबंधा पंचायतों के दर्जनों गांवों में बालू खपा रहे हैं वहीं फतेहपुर प्रखंड के सटकी,ताराबाद आदि नदी घाटों से मसानजोर, गुमरो, बास्कीडीह, बाडाडुमरिया आदि पंचायतों में बेखौफ होकर सुबह और शाम प्रतिदिन बालू माफिया प्रति ट्रेक्टर 12 से 15 सौ के भाव मे अवैध बालू खपाकर चांदी काट रहे हैं. आश्चर्य की बात यह है कि आज तक इन माफियाओं तक न तो पुलिस और न ही अंचल प्रशासन पहुंच पाई है. प्रशासन की निष्क्रियता के कारण मसलिया पश्चिमी के बास्कीडीह व गुमरो पंचायत के ट्रेक्टर मालिक भी मनमाना कर बालू उठाव छोटे छोटे जोरिया से ही कर रहे हैं. बालू खनन से इन जोरिया का अस्तित्व भी मिट रहा है और गड्ढे में तब्दील हो रहा है. ग्राम प्रधानों का कहना है कि अंचल कार्यालय को खबर देने के बावजूद भी कोई कारवाई नहीं होती जिससे बालू ट्रेक्टर मालिकों का मंसूबा सातवे आसमान पर है.
कुसुमघटा बालू घाट में चल रहा बालू का खेल-
वही अंचल क्षेत्र के नूनमिल नदी पर स्थित कुसुघाटा घाट में बालू लोडिंग का अवैध खेल चल रहा है. झारखंड राज्य खनिज विकास निगम के द्वारा इस घाट में चालान काटने के लिए कर्मचारी बहाल किया गया है.इसके बावजूद कर्मी को डराकर ट्रैक्टर मालिकों के द्वारा कुछ बालू लोड कर चालान लिया जाता है. और उसे कुछ दूरी पर गिराकर मयूराक्षी नदी से बालू के उत्खनन कर बालू को बेचा जाता है. ट्रैक्टर पर आधा बालू लोड करके फोटो खिंचाते हैं. यहां पदस्थापित कर्मचारी बिकास मिश्रा हर ट्रैक्टर मालिकों को फोन पर पूरा बालू लोडिंग करने को कहते हैं लेकिन यहां ट्रेक्टर चालान के लिए महज दिखावा के लिए ट्रेक्टर लाते हैं चालान लेने के बाद अन्य नदी घाटों से बालू उठाव करते हैं. इस तरह प्रतिदिन हजारों का राजस्व को चुना लग रहा है.
इस संदर्भ में अंचलाधिकारी रंजन यादव से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई पर मोबाइल नेटवर्क क्षेत्र के बाहर बताया