लखनऊ : उत्तर प्रदेश के कानपुर में अपराधियों ने तांडव मचाया. हिस्ट्रीशीटर विकाश दुबे को पकड़ने गई पुलिस पर अपराधियों ने गोलियों की बारिश कर दी. जिसमें डीएसपी देवेंद्र मिश्रा और थाना प्रभारी समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए. पुलिसकर्मियों के शहीद होने की खबर सुन अधिकारियों में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में एसएसपी और आईजी घटनास्थल पर पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी ली. मौके पर घायल जवानों को इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया. फॉरेंसिक टीम भी यहां छानबीन में जुट गई है.
मिली जानकारी के अनुसार बिठूर थाना के एक गांव में विकाश दुबे गिरोह को पकड़ने गई. पुलिस की टीम जैसे ही जीप से उतरी घात लगाये अपराधियों ने छत से गोलियों की बौछार कर दी. साथ ही बम भी फेंके. जिसमें डीएसपी समेत आठ शहीद हो गये. वहीं करीब 8 जवान गंभीर रूप से घायल हो गये. अपराधी पुलिस का हथियार भी लूटकर ले गये.
इलाके के डीएम ने बताया कि पुलिस की इस टीम में एक सीओ, एक एसओ, 2 एसआई और 4 जवान शहीद हुए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर शोक जताया है. सीएम ने डीजीपी एचसी अवस्थी को अपराधियों के खिलाफ कड़े एक्शन लेने के निर्देश दिए हैं, उन्होंने इस घटना की रिपोर्ट भी मांगी है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसी भी हाल में अपराधियों को बख्शा नहीं जायेगा.
जानिये कौन है हिस्ट्रीशीटर विकाश दुबे
हिस्ट्रीशीटर विकाश दुबे वर्ष 2001 में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी है. वर्ष 2000 में कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या में भी विकाश दुबे का नाम आया था. कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र में ही वर्ष 2000 में रामबाबू यादव की हत्या के मामले में विकाश दुबे पर जेल के भीतर रहकर साजिश रचने का आरोप है.
वर्ष 2004 में केबिल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकाश आरोपी है. 2001 में कानपुर देहात के शिवली थाने के अंदर घुस कर इंस्पेक्टर रूम में बैठे तत्कालीन श्रम संविदा बोर्ड के चैयरमेन, राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त भाजपा नेता संतोष शुक्ल को गोलियों से भून दिया था. कोई गवाह न मिलने के कारण केस से बरी हो गया.